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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक संगठन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2668
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक संगठन

प्रश्न-  व्यवसाय का क्षेत्र समझाइये।

उत्तर -

व्यवसाय के क्षेत्र का आशय व परिभाषाएं
(Meaning and Definitions of Scope of Business)

व्यवसाय का क्षेत्र व्यक्ति की आवश्यकताओं के साथ बढ़ गया है तथा यह राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय रूप ले चुका है। इसके क्षेत्र में विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों का समावेश किया जाता है। व्यवसाय के क्षेत्र से अभिप्राय व्यवसाय के अन्तर्गत आने वाली क्रियाओं से है। व्यवसाय के क्षेत्र की व्यापकता को स्पष्ट करते हुए प्रसिद्ध विद्वान एल. एच. हैने ने लिखा है कि "एक ओर व्यवसाय निर्माण की तकनीकी प्रक्रिया पर आधारित है तथा दूसरी ओर वह बाजार की ओर देखता है। दोनों के मोड़ पर या तो उत्पादन की तकनीकी प्रक्रिया का निर्देशन करते हुए या बाजार का अनुमान लगाते हुए, या दोनों को कार्य करते हुए किन्तु सदैव लाभ कमाने के प्रयोजन से क्रय व विक्रय में संलग्न व्यवसायी खड़ा है।"

एफ. सी. हूपर के अनुसार, "व्यवसाय के क्षेत्र का आशय वाणिज्य एवं उद्योग के सम्पूर्ण जटिल क्षेत्र आधारभूत उद्योगों, प्रोसेसिंग तथा निर्माणी उद्योगों एवं सहायक सेवाओं के जाल वितरण, बैंकिंग, बीमा, परिवहन आदि से है जो सम्पूर्ण व्यावसायिक जगत की सेवा करता है और उसमें अन्तर्व्याप्त है।' इस प्रकार व्यवसाय का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक है। इसके कार्यक्षेत्र में वे सभी व्यावसायिक क्रियाएँ सम्मिलित हैं जो वस्तुओं के उत्पादन से पूर्व की क्रियाओं से प्रारम्भ होकर उसे अन्तिम उपभोक्ताओं तक पहुँचाने एवं सन्तुष्टि प्रदान करने के सन्दर्भ में की जाती हैं।

व्यवसाय के क्षेत्र में शामिल बातें
(Things included in the Scope of Business)

व्यवसाय के क्षेत्र में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है -

1. उद्योग (Industry) : उद्योग के अन्तर्गत वे क्रियाएँ आती हैं जो वस्तुओं के उत्पादन से सम्बन्धित होती है। उद्योग कच्चे माल को तैयार माल के रूप में अथवा विक्रय योग्य अवस्था में लाता है। उद्योग वस्तुओं के रूप में उपयोगिता प्रदान करता है। उद्योग की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित है-

एफ. जे. राइट के अनुसार, "उद्योग किसी समाज की आर्थिक क्रियाओं का वह भाग है जिसके द्वारा कच्चे माल से आर्थिक माल अर्थात् मौद्रिक मूल्य पर बेचे जाने योग्य माल को प्राप्त किया जाता है, इसमें कृषि और निष्कर्षण उद्योग तथा निर्माणी एवं रचनात्मक उद्योग भी सम्मिलित हैं।"

सारजेण्ट फ्लोरेन्स के अनुसार, "सामान्य अर्थ में उद्योग से आशय निर्माणी क्षेत्र से है तथा कृषि, खनन एवं अधिकांश सेवाएँ इसमें सम्मिलित हैं।

2 वाणिज्य (Commerce) : वाणिज्य में वे क्रियाएँ आती हैं जो उद्योग द्वारा उत्पादन कार्य पूरा कर लेने के बाद की जाती हैं तथा उपभोक्ता के पास वस्तु पहुँच जाने पर समाप्त हो जाती हैं। वाणिज्य उत्पादन एवं उपभोक्ता के बीच की दूरी पाटने का कार्य करता है।

डावर के शब्दों में, "उद्योग वाणिज्य का वह विभाग है जो धन के उत्पादन से सम्बन्धित है।" एक अन्य विद्वान ने उद्योग की परिभाषा इस प्रकार दी है, "उद्योग से आशय उन समस्त क्रियाओं से है जो कच्चे माल को पक्के माल के रूप में अथवा उसे विक्रय योग्य अवस्था में लाती है।"

उद्योग की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) उद्योग व्यावसायिक क्रियाओं का एक प्रमुख अंग है।
(2) उद्योग एक आर्थिक क्रिया है।
(3) औद्योगिक क्रियाएँ समाज की आवश्यकाताओं की पूर्ति हेतु की जाती है।
(4) उद्योग एक निरन्तर चलने वाली क्रिया है।
(5) उद्योगों का स्थापना एवं विकास सरकार की नीतियों के अन्तर्गत होता है।
(6) उद्योग कई फर्मों का समूह है।
(7) उद्योग किसी देश की अर्थव्यवस्था का मापदण्ड है।
(8) उद्योग समस्त वाणिज्यिक क्रियाओं का प्रमुख आधार है।
(9) उद्योग के अन्तर्गत वस्तुओं का निर्माण तथा उत्पादक दोनों ही सम्मिलित हैं।
(10) उद्योग केवल रूप उपयोग के सृजन की ही प्रक्रिया नहीं है, अपितु विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे उत्पत्ति मूलक निष्कर्षण, रचनात्मक आदि प्रक्रियाओं का समूह है।

थॉमस के अनुसार, "वाणिज्यिक क्रियाएँ माल के क्रय-विक्रय वस्तुओं के विनिमय तथा तैयार माल के वितरण से सम्बन्धित होती है।'

वाणिज्य की निम्न विशेषताएँ प्रकट होती हैं -

(1) वाणिज्य व्यवसाय का एक अंग होता है।
(2) वाणिज्य विभिन्न प्रकार की उपयोगिताओं यथा (i) समय उपयोगिता, (ii) स्थान उपयोगिता तथा (iii) अधिकार उपयोगिता का सृजन करता है।
(3) वाणिज्य में वस्तुओं का क्रय-विक्रय एवं अन्य सहायक क्रियाओं; जैसे परिवहन, बीमा, संग्रहालय, बैंक, विज्ञापन, स्कन्ध तथा वस्तु विपणन, संवेष्ठन, डाक विभाग तथा प्रत्यक्ष सेवाओं को शामिल किया जाता है।
(4) वाणिज्य विनिमय सम्बन्धी बाधाओं को दूर करके वस्तुओं के हस्तान्तरण को अधिक सरल बनाता है।
(5) वाणिज्य उत्पादक एवं उपभोक्ता के मध्य सम्बन्ध स्थापित करता है।
(6) वाणिज्य पेशे से सर्वथा भिन्न है।

वाणिज्य में वे सभी क्रियाऐं शामिल की जाती हैं जो क्रय-विक्रय में सहायता पहुँचाती हैं। वाणिज्य को दो क्रियाओं में बाँटा जा सकता है -

1. व्यापार -  व्यापार का आशय माल के क्रय-विक्रय से होता है।
2. व्यापार में सहायक क्रियाएँ (Aids to Trade) : व्यापार की सहायक क्रियाओं में परिवहन, बैंक, बीमा, गोदाम, संचार आदि को शामिल किया जाता है। ये क्रियाएँ अत्यन्त महत्वपूर्ण होती हैं।

व्यापार दो प्रकार का होता है -

(a) देशी व्यापार (Home Trade) - देश के भीतर होने वाला वस्तुओं का क्रय-विक्रय देशी व्यापार कहलाता है। यह व्यापार थोक व्यापार तथा फुटकर व्यापार हो सकता है। 

देशी व्यापार निम्नलिखित प्रकार का होता है -

• स्थानीय व्यापार (Local Trade) - यह वह व्यापार है जो किसी स्थान विशेष तक ही सीमित होता है। इसमें उपभोक्ता व उत्पादक-विक्रेता दोनों ही स्थानीय होते हैं।

• राज्यीय व्यापार (In-state Trade) - यह व्यापार किसी राज्य विशेष तक ही सीमित रहता है। जैसे कानपुर, लखनऊ आदि नगरों के बीच होने वाला व्यापार उत्तर प्रदेश राज्य की सीमाओं के अन्दर होने के कारण राज्यीय व्यापार है।

• अन्तर्राज्यीय व्यापार (Inter-state Trade) - अन्तर्राज्यीय व्यापार एक ही देश की सीमाओं के अन्तर्गत विभिन्न राज्यों के मध्य होता है। उदाहरण के लिये उत्तर प्रदेश व पंजाब के बीच होने वाला व्यापार।

(b) विदेशी व्यापार (Foreign Trade) - "विदेशी व्यापार से अर्थ दो या अधिक देशों के मध्य वस्तुओं के विनिमय से है।' विदेशी व्यापार में वस्तुएँ एक देश की सीमा को पार करके दूसरे देश की सीमा में प्रवेश करती है। उदाहरण के लिये भारत व सिंगापुर के मध्य होने वाला व्यापार विदेशी व्यापार है। यह तीन प्रकार का होता है -

• आयात व्यापार ( Import Trade) - जब एक देश का क्रेता दूसरे देश से माल क्रय करके उसे अपने देश के अन्दर लाता है तो उसे आयात व्यापार कहते हैं।

• निर्यात व्यापार (Export Trade) - जब विक्रय के कारण माल देश की सीमाओं के बाहर भेजा जाता है, तो उसे देश का निर्यात व्यापार कहेंगे

• निर्यात हेतु आयात (Re-export ) - यदि वस्तुओं को किसी एक देश में दूसरे देश से स्थानीय उपयोग के लिये आयात न करके वहाँ से किसी अन्य देश को निर्यात करने के उद्देश्य से ही आयात किया जाय, तो ऐसे व्यापार को 'निर्यात हेतु आयात कहेंगे।

1. यातायात (Transport ) - एक स्थान से दूसरे स्थान पर वस्तुएँ पहुँचाने के लिये परिवहन साधनों की आवश्यकता पड़ती है। इनके विकास पर वाणिज्य का विकास निर्भर है।

2. बीमा (Insurance) - बीमा जोखिम को वहन करने का कार्य करता है।

3. बैंक (Bank) - बैंक जनता की बचत को एकत्रित करके ब्याज देकर पूँजी का निर्माण करता है तथा इसे व्यापारियों व उद्योगपतियों को उनकी आवश्यकतानुसार समय-समय पर ऋण की सुविधाएँ अपेक्षाकृत अधिक ब्याज लेकर देता है।

4. भण्डारण (Warehousing) - भण्डार गृहों में माल को लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जाता है।

5. विज्ञापन (Advertisement) - विज्ञापन को आधुनिक व्यापार का जीवन-रक्त कहें तो गलत नहीं होगा। विज्ञापन के द्वारा वस्तुओं के विषय में बतलाया जाता है।

6. डाक विभाग (Postal Department) - डाक को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य डाक विभाग ही सम्पन्न करता है, जो व्यापार के लिये नितान्त आवश्यक है। एक व्यापारी दूसरे व्यापारी को पत्र द्वारा आदेश देता है जो डाक विभाग द्वारा विक्रेता व्यापारी के पास पहुँचाया जाता है।

7. सन्देशवाहन (Communication) - व्यापार में सन्देशवाहन के साधनों द्वारा महत्वपूर्ण सेवाएँ अर्पित की जाती हैं। सन्देशवाहन के साधनों में तार, फैक्स, टैलेक्स, टेलीफोन, केबिल ग्राम आदि आते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- व्यवसाय का अर्थ बताइये। इसकी विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- व्यवसाय की विशेषताएं बताइये।
  3. प्रश्न- व्यवसाय के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- 'व्यवसाय किसी भी राष्ट्र की संस्कृति में एक प्रधान संस्था है, राष्ट्र के साधनों का एक प्रमुख उपभोक्ता एवं प्रबन्ध है तथा रोजगार एवं आय का मूल स्रोत है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  5. प्रश्न- व्यवसाय की परिभाषा दीजिए तथा इसके क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- व्यवसाय का क्षेत्र समझाइये।
  7. प्रश्न- 'व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होना चाहिए या सेवा करना अथवा दोनों ही? इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  8. प्रश्न- व्यवसाय के विकास की अवस्थाएँ समझाइए।
  9. प्रश्न- व्यापार तथा वाणिज्य में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  10. प्रश्न- वाणिज्य तथा उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- व्यापार तथा उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- 'व्यवसाय एक सामाजिक क्रिया है। समझाइये |
  13. प्रश्न- व्यापार, वाणिज्य तथा उद्योग का परस्पर सम्बन्ध बताइये।
  14. प्रश्न- व्यापार किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार का होता है ?
  15. प्रश्न- वाणिज्य, व्यवसाय व व्यापार में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
  16. प्रश्न- व्यवसाय के उद्देश्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- यदि व्यापार वाणिज्य का अंग है तो उद्योग उसका आधार है। इस कथन की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- व्यवसाय की अवधारणा स्पष्ट करो।
  19. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इसका महत्व अथवा लाभ बताइए।
  20. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन का महत्व या लाभ समझाइए।
  21. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन के उद्देश्य क्या हैं?
  23. प्रश्न- व्यावसायिक संगठन का कार्यक्षेत्र समझाइए।
  24. प्रश्न- आधुनिक व्यवसाय का क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताएँ क्या होती हैं? ई-व्यवसाय का वर्णन कीजिए। इसके लाभ एवं हानियाँ भी बताइये।
  25. प्रश्न- ई-व्यवसाय क्या है?
  26. प्रश्न- ई-व्यवसाय के लाभ समझाइये।
  27. प्रश्न- ई-व्यवसाय की हानियाँ समझाइये |
  28. प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण अथवा व्यावसायिक प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण की अवधारणा समझाइए। इसके लाभ एवं हानियाँ क्या हैं?
  29. प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण के लक्षण समझाइये।
  30. प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण अथवा व्यावसायिक प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण के लाभ समझाइये |
  31. प्रश्न- बाह्यस्रोतीकरण की हानियाँ क्या हैं?
  32. प्रश्न- उन सेवाओं को समझाइए जिनका बाह्यस्रोतीकरण किया जा सकता है।
  33. प्रश्न- ई-व्यवसाय का क्षेत्र बताइये।
  34. प्रश्न- ई-व्यवसाय तथा परम्परागत व्यवसाय में अन्तर बताइये।
  35. प्रश्न- ई-व्यवसाय के क्रियान्वयन हेतु जरूरी संसाधन बताइये।
  36. प्रश्न- एक नये व्यवसाय की स्थापना करने से पूर्व ध्यान में रखे जाने वाले घटक कौन-कौन से हैं?
  37. प्रश्न- नये व्यवसाय के सम्बन्ध में प्रारम्भिक अन्वेषण से आप क्या समझते हैं?
  38. प्रश्न- व्यवसाय संगठन के प्रारूप का चयन करते समय ध्यान में रखे जाने बिन्दु कौन-कौन से हैं?
  39. प्रश्न- व्यवसाय की स्थापना के घटकों पर विचार करते समय वित्तीय नियोजन को समझाइये।
  40. प्रश्न- व्यवसाय के स्थान, स्थिति एवं आकार को बताइए।
  41. प्रश्न- क्या व्यवसाय की स्थापना में किन्हीं कानूनी औपचारिकताओं को ध्यान में रखना होता है?
  42. प्रश्न- व्यवसाय की स्थापना करने में निम्नलिखित विचारणीय कारकों को समझाइये - (a) संयन्त्र अभिन्यास (b) क्रय तथा विक्रय नीति (c) प्रबन्ध (d) कार्यालय का उचित संगठन।
  43. प्रश्न- एक सफल व्यवसायी कौन होता है? उन गुणों को बताइये जो आपके विचार में एक सफल व्यवसायी में होने चाहिए।
  44. प्रश्न- ऐसे कौन-से घटक हैं जिन पर व्यावसायिक संगठन के प्रारूप का चयन आधारित होता है? समझाइए।
  45. प्रश्न- व्यावसायिक इकाइयों के स्वामित्व के विभिन्न प्रकार अथवा प्रारूप कौन-कौन से हैं? एकाकी व्यापार को परिभाषित कीजिए तथा इसकी प्रधान विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- एकाकी व्यापार से आप क्या समझते हैं?
  47. प्रश्न- एकाकी व्यापार की विशेषताएँ समझाइए।
  48. प्रश्न- एकाकी व्यापार के गुण एवं दोष समझाइए।
  49. प्रश्न- एकाकी व्यापार की हानियाँ या दोष समझाइए।
  50. प्रश्न- एकाकी व्यापार का सामाजिक महत्व बताइए।
  51. प्रश्न- क्या एकाकी व्यापार प्राचीन जंगली युग का अवशेष माना जाता है?
  52. प्रश्न- एकाकी व्यापार की सीमाएँ एवं भविष्य बताइए।
  53. प्रश्न- "एकाकी नियंत्रण विश्व में सर्वश्रेष्ठ है यदि वह एक व्यक्ति इतना बड़ा है कि व्यवसाय को भली प्रकार संभाल सके।' व्याख्या कीजिए।
  54. प्रश्न- साझेदारी का आशय एवं परिभाषाएँ दीजिए। इसकी विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- साझेदारी की विशेषताएँ, प्रकृति या लक्षण क्या हैं?
  56. प्रश्न- "व्यवसाय के अन्तर्गत साझेदारी प्रारूप अनुपयोगी बन चुका है इसे मिटा देना चाहिए।" इस कथन की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
  57. प्रश्न- साझेदारी की हानियाँ बताइए।
  58. प्रश्न- "साझेदारी का अधिक दिन चलना कठिन है।' आदर्श साझेदारी की विशेषताएँ बताइए और यह सिद्ध कीजिए कि आदर्श साझेदारी अधिक समय तक चल सकती है।
  59. प्रश्न- आदर्श साझेदारी की विशेषताएँ बताइए।
  60. प्रश्न- क्या आदर्श साझेदारी ज्यादा समय तक चल सकती है?
  61. प्रश्न- साझेदारी संलेख क्या है? इसमें किन-किन महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख रहता है?
  62. प्रश्न- साझेदारी तथा सहस्वामित्व में अन्तर बताइये।
  63. प्रश्न- क्या साझेदारी फर्म का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है? एक साझेदारी फर्म का रजिस्ट्रेशन न कराने के क्या परिणाम होते हैं?
  64. प्रश्न- "लाभों का बँटवारा करना ही साझेदारी के अस्तित्व का निश्चयात्मक प्रमाण नहीं है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- साझेदारी के भेद कीजिए तथा सीमित साझेदारी की विशेषताएँ लिखिए।
  66. प्रश्न- एकाकी व्यापार तथा साझेदारी से किस प्रकार भिन्न है?
  67. प्रश्न- साझेदारी तथा संयुक्त हिन्दू परिवार व्यवसाय में अन्तर बताइये।
  68. प्रश्न- दीर्घ उत्तरीय संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी क्या है? इसकी विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  69. प्रश्न- एक कम्पनी में कौन-कौन सी विशेषताएँ पायी जाती हैं? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  70. प्रश्न- संयुक्त पूँजी कम्पनी के गुण एवं दोष बताइये।
  71. प्रश्न- संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी के दोष बताइये।
  72. प्रश्न- निजी कम्पनी तथा लोक कम्पनी को परिभाषित कीजिए। इनमें अन्तर बताइये।
  73. प्रश्न- लोक कम्पनी से आपका क्या आशय है?
  74. प्रश्न- सार्वजनिक कम्पनी की विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- निजी कम्पनी तथा सार्वजनिक कम्पनी में अन्तर बताइए।
  76. प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी के बारे में बताइये।
  77. प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी के निर्माण सम्बन्धी प्रावधान बताइये।
  78. प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी के सम्बन्ध कम्पनी अधिनियम, 2013 में दिये गये प्रावधान बताइये।
  79. प्रश्न- कम्पनी और साझेदारी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  80. प्रश्न- कम्पनी के निगमन की विधि के अनुसार कम्पनियाँ कितने प्रकार की होती हैं? उनका संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  81. प्रश्न- निम्नलिखित को समझाइए - (i) विदेशी कम्पनी (ii) सूत्रधारी कम्पनी |
  82. प्रश्न- निष्क्रिय कम्पनी पर टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- एक व्यक्ति कम्पनी को प्राप्त विशेषाधिकार / छूटें बताइये।
  84. प्रश्न- बहु-व्यक्ति कम्पनी तथा एक व्यक्ति कम्पनी में अन्तर बताइये।
  85. प्रश्न- (i) एकाकी व्यापार की तुलना में संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी से होने वाले लाभ बताइये। (ii) क्या संयुक्त पूँजी कम्पनी प्रारूप साझेदारी प्रारूप पर सुधार है?
  86. प्रश्न- सहकारी संगठन से आप क्या समझते हैं? संगठन के सहकारी प्रारूप के लाभ-दोषों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- सहकारिता या सहकारी संगठन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  88. प्रश्न- सहकारी संगठन के लाभ बताइये।
  89. प्रश्न- सहकारी संगठन अथवा सहकारिता के दोष बताइये।
  90. प्रश्न- सहकारिताओं के प्रारूप या प्रकार बताइये।
  91. प्रश्न- सहकारी संगठन तथा संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी में क्या अन्तर है?
  92. प्रश्न- स्थानीयकरण से क्या आशय है? सार्जेन्ट फ्लोरेन्स के औद्योगिक स्थान निर्धारण सिद्धान्त का आलोचनात्मक वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- सार्जेन्ट फ्लोरेन्स के स्थानीयकरण सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
  94. प्रश्न- सार्जेन्ट फ्लोरेन्स के सिद्धान्त की आलोचनाएं बताइए।
  95. प्रश्न- संयन्त्र स्थान निर्धारण से आप क्या समझते हैं? संयन्त्र स्थान निर्धारण को प्रभावित करने वाले घटकों की विवेचना कीजिए।
  96. प्रश्न- स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले घटकों को समझाइए।
  97. प्रश्न- अल्फ्रेड वेबर का स्थानीयकरण का सिद्धान्त क्या है? इसे कौन-कौन से घटक प्रभावित करते हैं?
  98. प्रश्न- वेबर के स्थानीयकरण सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
  99. प्रश्न- वेबर तथा फ्लोरेन्स के औद्योगिक स्थानीयकरण के सिद्धान्तों में अन्तर बताइये।
  100. प्रश्न- संयन्त्र स्थानीयकरण के उद्देश्य व महत्व लिखिए।
  101. प्रश्न- संयन्त्र स्थानीयकरण के लाभ-दोष समझाइये।
  102. प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास से आप क्या समझते हैं? एक आदर्श संयन्त्र अभिन्यास के लक्षण बताइए। वे कौन से उद्देश्य हैं जिन्हें प्रबन्ध वर्ग संयन्त्र अभिन्यास के माध्यम से प्राप्त करना चाहता है?
  103. प्रश्न- आदर्श संयन्त्र अभिन्यास के लक्षण बताइए।
  104. प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास के उद्देश्य बताइए।
  105. प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास के प्रकार बताइए तथा इनके सापेक्षिक लाभ तथा दोष बताइए।
  106. प्रश्न- उत्पाद अथवा रेखा संयन्त्र अभिन्यास के लाभ-दोष समझाइए।
  107. प्रश्न- कार्यात्मक अथवा प्रक्रिया संयन्त्र अभिन्यास क्या होता है? इसके लाभ व हानियाँ समझाइए।.
  108. प्रश्न- स्थिर सामग्री वाला संयन्त्र अभिन्यास अथवा स्थायी स्थिति संयन्त्र अभिन्यास क्या होता है? इसके गुण-दोष बताइए।
  109. प्रश्न- संयुक्त संयन्त्र अभिन्यास को समझाइए।
  110. प्रश्न- अच्छे संयन्त्र अभिन्यास का महत्व बताइए।
  111. प्रश्न- उचित रूप से नियोजित संयन्त्र अभिन्यास के सिद्धान्त बताइए।
  112. प्रश्न- संयन्त्र अभिन्यास को प्रभावित करने वाले घटकों को समझाइए।
  113. प्रश्न- व्यावसायिक इकाई से आप क्या समझते हैं? व्यावसायिक इकाई अथवा औद्योगिक इकाई के आकार के माप अथवा प्रमाप या मानदण्ड समझाइये |
  114. प्रश्न- व्यावसायिक या औद्योगिक इकाई के आकार की माप या प्रमाप अथवा मापदण्ड समझाइये।
  115. प्रश्न- व्यवसाय के अनुकूलतम आकार से आप क्या समझते हैं? अनुकूलतम आकार की इकाई निर्धारित करने वाले तत्व कौन-कौन हैं, इनकी व्याख्या कीजिए।
  116. प्रश्न- व्यावसायिक इकाई के अनुकूलतम आकार को निर्धारित करने वाले तत्व कौन-कौन से हैं, विस्तारपूर्वक समझाइये।
  117. प्रश्न- बड़े आकार से प्राप्त होने वाली मितव्ययिताएँ या बचतें समझाइये।
  118. प्रश्न- व्यावसायिक अथवा औद्योगिक इकाई के आकार को निर्धारित करने वाले घटक बताइये।
  119. प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म तथा साम्य फर्म क्या हैं?
  120. प्रश्न- अन्तर कीजिए - (a) अनुकूलतम फर्म तथा प्रतिनिधि फर्म (b) अनुकूलतम फर्म तथा साम्य फर्म।
  121. प्रश्न- बड़े आकार वाली व्यावसायिक अथवा औद्योगिक इकाइयों की हानियाँ बताइये।
  122. प्रश्न- व्यावसायिक संयोजन से आप क्या समझते हैं? संयोजन आन्दोलन को प्रेरित करने वाले तत्व कौन-कौन से हैं? समझाइये।
  123. प्रश्न- व्यावसायिक संयोजन की विशेषताएँ बताइये।
  124. प्रश्न- व्यावसायिक संयोजन के आन्दोलन को प्रेरित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।
  125. प्रश्न- संयोजन के विभिन्न प्रारूपों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- चेम्बर ऑफ कामर्स क्या है? इसके उद्देश्य व कार्य बताइये।
  127. प्रश्न- श्रम संघ को समझाइये।
  128. प्रश्न- अनौपचारिक ठहराव से आप क्या समझते है? इसके प्रकार एवं लाभ-दोष बताइये।
  129. प्रश्न- सन्धान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- उत्पादक संघ क्या होता है?
  131. प्रश्न- प्रन्यास क्या होता है? इसके गुण व दोष लिखिए।
  132. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) सूत्रधारी कम्पनी (b) सामूहिक हित
  133. प्रश्न- पूर्ण संघनन से आप क्या समझते है? इनके गुण व दोष लिखिए।
  134. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के संयोजनों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  135. प्रश्न- औद्योगिक संयोजन क्या हैं? इसके लाभ व दोष बताइए।
  136. प्रश्न- मिश्रित संयोजन क्या है? इसके उद्देश्य बताइए।
  137. प्रश्न- सेवा संयोजन पर टिप्पणी लिखिए।
  138. प्रश्न- सहायक संयोजन को समझाइए।
  139. प्रश्न- क्या व्यावसायिक संयोजन उपभोक्ताओं के हित में है?
  140. प्रश्न- व्यावसायिक संयोगों के लाभों एवं हानियों की विवेचना कीजिए।
  141. प्रश्न- क्षैतिज संयोजन तथा उदग्र संयोजन में अन्तर बताइये।
  142. प्रश्न- पूल से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्य बताइये।
  143. प्रश्न- संघ या पूल के लाभ एवं हानियाँ बताइये।
  144. प्रश्न- संघों के प्रकार समझाइये।
  145. प्रश्न- संयोजन के उद्देश्य बताइये।
  146. प्रश्न- उत्पादक संघ कार्टेल तथा संघनन में अन्तर बताइये।
  147. प्रश्न- प्रन्यास एवं उत्पादक संघों में अन्तर बताइये।
  148. प्रश्न- प्रन्यास एवं सूत्रधारी कम्पनी में क्या अन्तर है?
  149. प्रश्न- विवेकीकरण से आप क्या समझते हैं? विवेकीकरण को प्रोत्साहित करने वाले घटक कौन-कौन से हैं?
  150. प्रश्न- विवेकीकरण की विशेषताएं बताइये।
  151. प्रश्न- विवेकीकरण को प्रोत्साहित करने वाले घटक अथवा कारण कौन-कौन हैं?
  152. प्रश्न- विवेकीकरण से आप क्या समझते हैं। इसके लाभों को बताइये।
  153. प्रश्न- विवेकीकरण के लाभों को बताइये।
  154. प्रश्न- "भारतीय उद्योगों का भविष्य विवेकीकरण में निहित है।' इस कथन की विवेचना कीजिए तथा विवेकीकरण के लाभों को समझाइये |
  155. प्रश्न- विवेकीकरण तथा वैज्ञानिक प्रबन्ध में अन्तर कीजिए।
  156. प्रश्न- विवेकीकरण तथा राष्ट्रीयकरण में अन्तर कीजिए।
  157. प्रश्न- विवेकीकरण के प्रमुख पहलू बताइये।
  158. प्रश्न- विवेकीकरण के सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  159. प्रश्न- भारतीय उद्योगों में विवेकीकरण की धीमी प्रगति के कारण स्पष्ट रूप से समझाइये।
  160. प्रश्न- विवेकीकरण का मानवीय या सामाजिक पहलू बताइए। विवेकीकरण के उद्देश्य क्या हैं?
  161. प्रश्न- विवेकीकरण की हानियाँ बताइये।

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